आरक्षण डकार के समाज को धोखा देने वालों को साहब कांशीराम के अनुयायी प्रकाश सिंह पाखी ने किया बेनक़ाब : जेम्स रॉयल

लोगों की सेवा करने से बड़ा कोई धर्म नहीं गंगा शंकर मिश्र

प्रतिनिधि टुडे / पंचकुला

(क्या आरक्षण भक्षण या संरक्षण?)
इस लेख को लिखने वाले अम्बेडकरवादी मान्यवर साहिब कांशीराम राम के शिष्य बहुजन समाज पार्टी के संस्थापाक सदस्य बहुजन आंदोलन के अग्रणी आदरणीय प्रकाश सिंह पाखी जी किसी परिचय के मोहताज नहीं है उन्होंने अपना पुरा जीवन बहुजन समाज के उत्थान के लिए कुर्बान किया हुआ है प्रकाश सिंह पाखी जी भी मान्यवर साहिब कांशीराम राम जी के बहुजन मिशन के उन विशेष योद्धाओ मे से एक है जिन्होंने बहुजन मिशन के आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए आजीवन शादी ना करके अपनी घर-गृहस्थी ना बसाने की कसम उठाई थी जो आज भी अपनी कसम पे कायम है और लगातार बहुजन मिशन को आगे बढ़ाने का काम कर है और समाज के मौकाप्रस्त लोगों की करतूत देखकर परेशान है और बाबा साहिब के आंदोलन को पीछे दकेलने का काम करने वाले लोगों के लिए अपना दर्द ब्यान कर रहे है आगे मान्यवर प्रकाश सिंह पाखी जी के दर्द की दास्तान पढ़िए
आज बहुजन समाज के बहुत लोग जिनमें वह लोग ज्यादा है जिन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर के द्वारा दिए गए अधिकारों का (आरक्षण) ( शासन और प्रशासन में मिली हिसेदारी का पीढी दर पीढी )का खूब फायदा लिया, चाहे वो सरकारी नौकरी, सांसद,विधायक, मंत्री, चेयरमैन, या अन्य बड़े पद, सरकारी जमीन,गैस एजेन्सी, पेट्रोल पंप, बस परमिट, सरकार द्वारा आरक्षित वर्ग को दी जाने वाली सभी सुविधाएं चाहे वह किसी भी तरह की हों, आज आरक्षण की वजह से ही बड़ी बड़ी कोठियां, बंगले लगजरी कारें, बिजनस, जमीन, फैक्टरी, व्यापार, दुकान कंप्लेक्स,माल जिनके पास है उन्हीं में से ज्यादातर लोग बाबा साहेब अंबेडकर के मिशन को खत्म करने का काम कर रहे हैं, जैसे एक आदमी जिस टहनी पर बैठा हो उसी को काट रहा हो उसको क्या कहेंगे। जब कि उन्ही की सब से बड़ी जिम्मेंवारी इस मिशन को मंजिल तक पहुँचाने की,थी जो लोग महापुरषों के मिशन को मिटाने में लगे है बेहद स्वार्थी और लालची किस्म के कृतघन लोग आप विधायक या सांसद बनने के लालच में समाज को अपने स्वार्थ के लिए गुमराह कर रहे हैं। जो लोग आरक्षण के दम पर बड़े बड़े पदों पर रहे हैं, वही लोग दाएं बाएँ से जुगाड़ कर के अपना स्वार्थ पुरा करने के लिए समाज को गलत दिशा में ले जाने की फिराक में रहते है समाज में नकली मसीहा बनने का नाटक करते हैं । यही लोग समाज में जाकर आदरणीय बहन मायावती जी और बसपा के खिलाफ कह रहे है कि बहन जी किसी से समझौता नहीं करती, अकेले जीत नही सकते,। गठबंधन में शामिल होने की बात कर रहे थे, अब वह गठबंधन भी बिखर गया,। क्या इन लोगों में अपने बुते पर बहुजन समाज की लड़ाई लड़ने का दम नही, जब गुरु रविदास, गुरु कबीर, गुरु गोबिंद सिंह, फुल्ले, साहू, पैरियार, बाबा साहेब अंबेडकर, बाबू मांगू राम मगोवालिया साहब कांशी राम जी, मुश्किल समय में सामाजिक आंदोलन खड़ा कर के अपनी बात सरकारों से मनवा सकते है, सरकारों को झुका सकते है, अपनी सरकार बना सकते है, तो आप ऐसा क्यों नही कर सकते। क्या सिर्फ अपने छोटे से स्वार्थ के लिए समाज को उन संगठन में लेजाकर गुलाम बनाना जरूरी है। आपकी सोच, समझ शिक्षा,योग्यता,बुद्धि, काबलियत, लीडरशिप, तभी नजर आयेगी जब आप अपने बल पर बहुजन समाज के मिशन को सहीदिशा में लेजाने के लिए अपनी ऊर्जा खर्च करते हैं, वरना पानी आगे तो मुर्दा भी बह जाता है। , बाबा साहेब ने कहा था, “मेरे समाज के लोगों मेरे मिशन को मंजिल तक पहुँचाना आपकी जिम्मेवारी है, जिन लोगों को आरक्षण का लाभ मिला है उनको चाहिए वह समाज की गुलामी काटने के लिए जीवन में संघर्ष करते रहे जब तक उनका समाज गुलामी की जंजीरों से मुक्त नही हो जाता,। बाबा साहेब ने आखिर में कहा था, मुझे मेरे पढ़े लिखे लोगों ने धोख़ा दिया, अब मै गाँव गाँव जाऊंगा, और समाज को उनको पैरों पर खड़ा करने के लिए आंदोलन चलाऊंगा। फिर बाबा साहेब ने कहा, ” मैं ये कारवां यहाँ तक बड़ी मुशिबतों और मुश्किलों का सामना कर के यहाँ तक लेकर आया हूँ, अब मेरे जाने के बाद आप इस कारवां को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष जारी रखना, अगर आप इसको आगे भी न बढ़ा सके तो पीछे भी मत जाने देना”,।बाबा साहब ने हमें 4 निशानी दी, 1 नीला झंडा, 2 हाथी का निशान, 3. भारत का सविधान, 4. स्वाभिमान, क्या हम सभी को बचा पाएं है? धन्य हो मान्यवर कांशी राम साहब जिन्होंने, बामसेफ, डी एस 4, बसपा बना कर हमें अल्पजन से बहुजन समाज बनाकर हाथी को उसकी ताकत का अहसास कराया कि तू बहुत ताकतवर है,। जिन लोगों को आजादी के 40 वर्ष बाद भी देश में उच्च वर्ग इंसान मानने के लिए तैयार नही था उन्ही लोगों को जागरूक करके सत्ता के दरवाजे पर खड़ा कर दिया,। बहुजन समाज को बता दिया,पूंजीवादी जातिवादी, मनी, माफिया, मीडिया को कुचल कर कैसे आगे बढ़ना है। अपने छोटे छोटे साधनों का इस्तेमाल कर के कैसे आगे बढ़ना है, अपने समाज में कैसे लीडरशिप पैदा हो। अपने आप को सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ति के लिए कैसे तैयार करना है, साहब काशी राम जी ने कहा था,” बाबा साहेब का रुका कारवां ( मिशन) अगर हम अपने जीवन में पुरा नही कर पाए फिर इसको अंतिम सांस तक मंजिल की ओर अग्रसर रखना है, किसी भी कीमत पर छोड़ना नही, हमें यह मिशन अपनी आने वाली पीढी को सौंप कर दुनिया से जाना है ता कि ये मिशन पीढी दर पीढी आगे बढ़ता रहे और अपनी मंजिल पर जल्दी से जल्दी पहुँच सके,। उन्होंने बसपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाया। ऐसे लोगों को अहसास करवाया जो लोग दिमागी तौर पर गुलाम थे, आज भी बहुत लोग कहने को तो शिक्षित है परंतु उनकी मानसिकता भी गुलामों जैसी है किसी न किसी रूप में आज भी वह जातिवादी मानसिकता के चलते दिमागी गुलाम है, आज ऐसे गुलाम भाईयों को जो साधन सम्पन्न तो है लेकिन दिमागी तौर पर मनुवाद के टूल के रूप में काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों को महापुरषों के मिशन को पढ़ने समझने चिंतन करने की जरूरत है, जैसे हम बैंक से लोन लेकर कारोबार शुरू करते हैं, तो बैंक का ब्याज सहित सभी कर्ज वापिस करते हैं, कुछ लोग कर्ज नही चुका पाते तो वह डिफ़ाल्टर हो जाते है, ऐसे ही हमारे सर पर महापुरषों का कर्ज है, हमारा अपने समाज के प्रति क्या फर्ज है, आजाद भारत में गुलाम लोगों की क्या मर्ज है, अगर हम अपनी भलाई के लिए समाज को एकता के सूत्र में बांधे तो तो क्या हर्ज है। बिना सत्ता प्राप्त किये हम कभी आजाद नही हो सकते। हमारे बजुर्गों ने पेड़ लगाया हम उसका फल खा रहे हैं, अगर अपनी आने वाली पीढ़ियों को फल खिलाने है तो हमें अपने नये पेड़ लगाने होंगे,। हम बना बनाया हलुआ खा रहे है हम ने समाज के लिए क्या किया, अगर आप की आने वाली पीढियां गुलाम बनी इसके जिम्मेवारी आप पर है इसके दोषीयों आप होंगे, आप की फोटो पर आप के नाती पोते थूकेंगे कि हम अपने बजुर्गों के कारण गुलाम बने रह गए क्यों कि उन्होंने सही समय पर सही संघर्ष,सही आंदोलन,सही फैसला नही लिया।क्याआप ने आरक्षण का फायदा लिया है? अगर आप को लाभ मिला है तो उठो महापुरषों का कर्ज आप के सर पर है, आओ मिलकर अपना कर्ज उतारने का काम करें।

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