गुरु रविदास जी ने आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया-रंजीता मेहता

पंचकूला। हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की मानद महासचिव रंजीता मेहता ने कहा है कि गुरु रविदासजी मध्यकाल में एक भारतीय संत कवि सतगुरु थे। इन्हें संत शिरोमणि सत गुरु की उपाधि दी गई है। इन्होंने रविदासीया, पंथ की स्थापना की और इनके रचे गए कुछ भजन सिख लोगों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं।

इन्होंने जात पात का घोर खंडन किया और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया। रविदास जी एक महान संत थे जिन्होंने अपने जीवन के दौरान अनेकों सामाजिक व धार्मिक सुधारों का कार्य किया। रविदास जी बचपन से ही बहुत धार्मिक थे और उन्होंने अपने जीवन के दौरान कई धर्म ग्रंथों को अध्ययन किया था। रंजीता मेहता शनिवार को संत शिरोमणि श्री गुरु रविदास जी महाराज के 647वीं जयंती के उपलक्ष्य में श्री गुरु रविदास सभा पंचकूला द्वारा सेक्टर-15 स्थित गुरु रविदास भवन में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहीं थी। रंजीता मेहता ने सेक्टर 16 गांव बुढनपुर के पास आयोजित लंगर सेवा में भी भाग लिया और लोगों को प्रसाद वितरित किया।

रंजीता मेहता ने कहा कि रविदास जी एक महान संत, कवि और समाज सेवक थे। उनके परिवार का जीवन गरीबी और संकट से भरा था। बचपन से ही रविदास जी को धर्म और आध्यात्मिक विषयों में रुचि थी। वे संत मीरा बाई, संत कबीर, संत रामानंद और संत नामदेव जैसे अन्य संतों की भावनाओं के प्रभाव में आते थे। रंजीता मेहता ने कहा कि एक दिन, रविदास जी को दर्शन मिले जब उन्होंने एक गुरु के शिष्यों के समूह को धर्म के उच्च मानकों का उल्लंघन करते देखा। यह घटना उन्हें अपने आप को धर्म के उच्च मानकों से जोड़ने की प्रेरणा दी। इस अवसर पर सुशील कुमार (गोल्डी), सतीश चंदेलिया, सुनील सरोहा, गौरव कुमार, राजन देसाई, संजीव सूद, रमन कुमार चेरी, मोहित कुमार, अरविन्द, प्रमोद सहित अन्य उपस्थित रहे।

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