हरियाणवी संस्कृति की झलक : हरियाणवी कला को नया आयाम दे रही अंजू दहिया

*‘आपणा घर’ में पारम्परिक हस्त निर्मित परिधानों व आभूषणों का जलवा
सूरजकुंड (फरीदाबाद) 12 फरवरी। 38 वे अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड शिल्प मेले में  ‘आपणा घर’
स्थित पैवेलियन में हरियाणवी कला और संस्कृति को आगे बढ़ा रहे पारंपरिक परिधानों का जलवा देखने को मिल रहा है। यह स्टाल हरियाणा सहित देश विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मेला में हरियाणवी पारंपरिक परिधानों की सुंदरता और कलात्मकता लोगों का मन मोह रही है।  इस स्टाल पर  संचालिका अंजू दहिया अपने हाथ से बनाए गए दामण, चुन्नी, कुर्ती और अन्य परिधानों के ज़रिए ग्राहकों को न केवल परंपरा से जोड़ रही हैं बल्कि फैशन के क्षेत्र में हरियाणवी कला को नया आयाम भी दे रही हैं।
बतौर अंजू दहिया  उनका उद्देश्य हरियाणवी कला और परंपरा को आधुनिक बाजार में एक नई पहचान देना है। वह बताती हैं,
“हमारी कोशिश है कि हरियाणवी गहनों और परिधानों को नए जमाने के फैशन में शामिल किया जाए, ताकि हमारी विरासत आने वाली पीढ़ियों तक पहुँच सके।”
‘आपणा घर’ पैवेलियन का
अवलोकन कर रही हरियाणा के झज्जर जिला की सोमवती जाखड़,दादरी से डॉ किरण कलकल,रोहतक से सुनीता दांगी,कविता रेवाड़ी, फरीदाबाद निवासी अलका और सुनीता शर्मा आदि महिलाओं का कहना है कि
हरियाणा सरकार मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में हरियाणावी कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सराहनीय कार्य कर रही है। पर्यटन मंत्री डॉ अरविंद कुमार शर्मा निरन्तर मेले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि बाजार में मिलने वाले आधुनिक परिधानों व गहनों के मुकाबले हरियाणवी संस्कृति से जुड़े परिधानों की डिमांड दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। गिल्टी और पीतल के पारंपरिक आभूषण भी इन परिधानों के साथ  आकर्षक लगते हैं।
पारंपरिक झुमके, हँसली, बाजूबंद सरीखे आभूषण बढ़ा रहे शोभा
इस स्टॉल पर उपलब्ध आभूषणों में झुमके, हँसली, बाजूबंद, चूड़ियाँ, बिछुए और नथ प्रमुख रूप से शामिल हैं। इन गहनों की खासियत यह है कि ये हल्के, टिकाऊ और सौम्य सुनहरी आभा लिए होते हैं, जो हर प्रकार के पारंपरिक और फ्यूजन लुक में चार चाँद लगा देते हैं।

उन्होंने बताया कि यह स्टॉल सिर्फ कपड़ों और आभूषणों की बिक्री का केंद्र नहीं, बल्कि हरियाणवी संस्कृति को सहेजने और आगे बढ़ाने की एक मुहिम है। अंजू दहिया की यह पहल दर्शाती है कि परंपरा और आधुनिकता का संगम कैसे एक सफल व्यवसाय का आधार बन सकता है।

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