डॉ अम्बेडकर के पोते भीम राव यशवंत राव अम्बेडकर ने चैत्यभूमि पर राहुल गाँधी का किया स्वागत:- जेम्स रॉयल

राहुल गाँधी ने डॉ अम्बेडकर की समाधि स्थली चैत्यभूमि पर किया जोड़ो यात्रा का समापन

प्रतिनिधि टुडे // चंडीगढ़

राहुल गाँधी ने 6 हजार किलोमीटर से लंबी भारत जोड़ो यात्रा का समापन दिनांक 18 – 03 – 24 को बाबा साहिब डॉ अम्बेडकर की समाधि स्थली चैत्यभूमि दादर मुंबई मे खत्म की lबाबा साहिब के पोते भीम राव यशवंत राव अम्बेडकर ने भारतीय बौद्ध महा सभा की तरफ से राहुल गाँधी का स्वागत बुद्धिज्म का पटका और फूलों का गुलदस्ता भेंट करके किया l इतिहाकर कहते है कि इतिहास जरूर दोहराता है जिस राहुल गाँधी के पूर्वज तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर नेहरू की मनुवादी सरकार ने वर्ण व्यवस्था की सोच के अनुसार डॉ अम्बेडकर के पार्थिव शरीर का दाह संस्कार साजिस के तहत दिल्ली के राजगाट पर नहीं होने दिया और मुम्बई भेज दिया l आज इतिहास करवट लें रहा है और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के वंशज राहुल गाँधी बाबा साहिब डॉ अम्बेडकर के विचारों का गुणगान हर रैली मे करते है और बहुजन समाज के अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति, बैकवार्ड जाति अलसंख्यकों और शोषितो / वंचितों के हक़ अधिकारों की वकालत करते नजर आते है और बाबा साहिब के सविधान के सवैंधानिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए आह्वान कर रहे है और इन्होने खुद बाबा साहिब की समाधि पर अपनी भारत जोड़ो यात्रा समाप्त करने की योजना बनाई और बाबा साहिब के पोते भीम राव यशवंत राव अम्बेडकर से डॉ अम्बेडकर की समाधि स्थली चैत्यभूमि पर अपनी भारत जोड़ो यात्रा समाप्त करने के लिए प्रोग्राम लिया l

वैसे इतिहास मे देखा जाये तो अगर 70 साल मे कांग्रेस ने वंचितों / शोषितो सविधान के अनुसार हक़ दिए होते तो आज बहुजन समाज का संस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक विकास होता और बहु संख्यक समाज देश के तख़्तताज पर काबिज होता और आज 75 साल के बाद भी आरक्षण की लड़ाई नहीं लड़ रहा होता l लेकिन कांग्रेस ने उल्टा बहु संख्यक समाज को आपस मे बांटकर लड़ाया और खुद शासन पर काबिज रहे और देश को लूटते रहे और बहु संख्यक समाज केवल रोजी रोटी तक ही सिमित रखा l बहु संख्यक लोगों को देश के प्राकृतिक संसाधनों से दूर रखा l बहु संख्यक समाज को बहुत कम नौकरी दी गई आज भी बहुत बड़े पैमाने पर देश मे बैकलॉग खाली है और आज भी देश मे बहु संख्यकों के पास अपनी फैक्ट्री और अपने रोजगार नहीं है और कांग्रेस छुपकर हमारे अधिकारों पर डाके डालती रही लेकिन बीजेपी तो सुरु से ही हमारे महापुरषों की समानतावादी विचारों के खिलाफ काम करती रही है l और कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों के निर्णायक वर्ण व्यवस्था और मनुवादी सोच के लोग है जो कभी नहीं चाहते कि बहु संख्यक़ लोगों को अधिकार मिलें l हमारे महापुरषों ने कांग्रेस और बीजेपी के बारे मे साफ कहा है बीजेपी और कांग्रेस दोनों एक ही थैली के चटे – बटे है एक सांपनाथ और एक नाग नाथ है l लेकिन अगर राहुल गाँधी आज इस दौर मे बहुजन समाज के हक़ अधिकारों की वकालत कर रहे है अगर राहुल गाँधी असलियत मे अपनी सरकार मे बहुजन समाज के अधिकार देने का वादा कर रहे है तो उनका यह कदम स्वागत के योग्य है l

गौरतलब हैं कि गरीबों / शोषितो के मसीहा बाबा साहिब दिल्ली में अपने निवास 26 अकबर अली रोड पर 6 दिसंबर 1956 को अपने करोड़ों अनुयायिओं को रोता बिलकता छोड़ कर इस दुनियां को अलविदा कह गए l बाबा साहिब के महापरिनिर्वाण की खबर सुनते ही पुरे भारतवर्ष से उनके लाखों अनुयायी दिल्ली की तरफ कूच करने लगे l यह खबर जैसे ही तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को लगी सरकार के सारे अमले के हाथ-पाँव फूल गए और सरकार घबरा गई l तत्कालीन जवाहर लाल नेहरू मनुवादी सरकार ने सोचा अगर देश के करोड़ों शोषित / बंचित समाज के लोग अगर दिल्ली पहुंच गए तो डॉ अम्बेडकर के नाम की गूंज पूरी दुनियां मे जाएगी और भविष्य मे भी बाबा साहिब के महापरिनिर्वाण दिवस पर उनकी समाधि पर हमेशा भारत की राजधानी पर करोड़ों शोषित / वंचित समाज के लोग पहुंचेंगे l मनुवादी सोच के लोग अच्छी तरह से जानते थे अगर डॉ अम्बेडकर का संस्कार अगर दिल्ली के राजघाट पर कर दिया तो दुनियां की कोई भी शख्सियत भारत मे आएगी और महापुरुषों की समाधि पर राजघाट पर जाएगी तो डॉ अम्बेडकर की समाधि पर भी फूल चढ़ाये जायेंगे l वर्ण व्यवस्था के अनुसार मनुवादियों को ये मंजूर नहीं था डॉ अम्बेडकर की समाधि को राजघाट पर वो मान-सम्मान मिले और डॉ अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर उनके करोड़ों अनुयायी दिल्ली के राजघाट पर पहुंचेंगे तो दिल्ली का तख़्तताज हिल जायेगा l इसीलिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और तत्कालीन मनुवादी सोच रखने वाले लोगों ने देश के वंचितों को दिल्ली के तख़्तताज से दूर रखने की साजिश सोची इसीलिए डॉ अम्बेडकर का दाह संस्कार दिल्ली के राजघाट पर नहीं करने दिया l और बाबा साहिब के पार्थिव शरीर को आनंफानन मे मुम्बई के दादर, तट दादर पर लाया गया और डॉ अम्बेडकर के दाह संस्कार के पहले उनके पार्थिव शरीर को साक्षी मानकर उनके लगभग 20 लाख अनुयायिओं ने बौद्ध धम्म की दीक्षा ली और यह दीक्षा उन्हें भदन्त आनन्द कौशल्यायन ने दी थी। चैत्यभूमि में 6 दिसंबर 1956 को भदन्त आनन्द कौशल्यायन ने अम्बेडकर का बौद्ध परम्परा के अनुसार दाह संस्कार किया था। भारतीय संविधान के निर्माता भारतरत्न डॉ भीमराव आंबेडकर जी की समाधि स्थली चैत्यभूमि बौद्ध धर्म के लोगों व बाबा साहिब के अनुयायिओं की आस्था का केंद्र हैं।

भारत जोड़ो यात्रा के समापन के मौके पर INDIA गठबंधन के नेताओं का मंच पर जमावडे मे बाबा साहिब के बड़े पोते प्रकाश अम्बेडकर को भी विशेष तौर पर आमंत्रित किया l राहुल समेत तमाम विपक्ष नेताओं ने मंच का इस्तेमाल हर क्षेत्र मे देश की दुर्दशा करने वाली और सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग करने वाली मोदी सरकार को जमकर कोसा और देश वासियो से अपील की अगर मोदी सरकार को नहीं हटाया गया तो देश के हालत बहुत भयानक होगी l

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