जय श्री राम के नारों से गूंजायमान हो उठी थी अयोध्या
रेडक्रॉस हरियाणा के प्रदेश सेक्रेटरी डॉ मुकेश अग्रवाल बोले यह किसी स्वप्न के साकार होने जैसा

एक स्वप्न जो लगभग तीन दशक पूर्व देखा और उसे पूरा करने के लिए उसे युवावस्था में पूरी भागीदारी भी निभाई। वह स्वप्न था अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का और आज जब दो दिन बाद वह स्वप्न हकीकत बन चुका है तो ऐसे में अयोध्या में हुए उसे संघर्ष को याद करते हुए वर्तमान में रेड क्रॉस हरियाणा के प्रदेश सेक्रेटरी डॉ मुकेश अग्रवाल की आँखे खुशी के आंसुओं से नम हो जाती हैं। यादों के झरोखे से वह उन संघर्ष के दोनों को याद करते हैं और वह संघर्ष के दिन उन्हें लगभग तीन दशक से पीछे 1992 में लाकर खड़ा कर देते हैं। जब 1992 में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया, तब उस संघर्ष में वे 2 तारीख से लेकर 7 तारीख तक वही अयोध्या में रहे थे। सभी कारसेवकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उन्होंने अयोध्या नगरी में रामलला का मंदिर बनाने का जो संकल्प लिया था। आज वह संकल्प मूर्त रूप ले चुका है। डॉ मुकेश अग्रवाल उन दोनों को याद करते हुए कहते हैं कि भगवान श्री राम ने जो उनकी ड्यूटी लगाई, उन्होंने मात्र उसका निर्वहन किया। उसे समय एक ही नारा और एक ही नाम जुबां पर होता था। जो सभी में उत्साह और ऊर्जा भर देता था। रामलाल हम आएंगे मंदिर यहीं बनाएंगे, नारों से पूरी अयोध्या नगरी गूंज उठी थी। उन्होंने कहा कि वह इस दौरान सभी कारसेवकों के साथ तमाम अवरोधों के बीच वे राम मंदिर स्थल पर पहुंचने में कामयाब हुए। पूरी अयोध्या जय श्री राम के नारों से गूंज उठी। हर वर्ग जिसमें बुजुर्ग, युवा बच्चे सभी राम के रंग में रंगे हुए दिखाई दे रहे थे। लाखों की संख्या में कारसेवक जुट चुके थे और जय श्री राम के तारों के बीच सभी ने मिलकर शाम को करीब 5 बजे विवादित गुंबद को गिरा दिया। डॉ मुकेश अग्रवाल कहते हैं कि आज उनके पास शब्द नहीं है, रामलला अपनी अयोध्या नगरी में 22 जनवरी को विराज रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी मिलकर उसे दिन अपने घरों में दीप जलाकर दीपावली मनाएं क्योंकि बरसों बाद श्री राम मंदिर का निर्माण पूरा हुआ है और अब भक्त राम मंदिर में भगवान श्री राम के दर्शन कर सकेंगे।