पंचकूला। शिशु गृह में पाल रही एक बच्ची अब बालीवुड घराने की शान बन गई है। जानी मानी एक फिल्म अभिनेत्री की बेटी ने शिशु गृह से पांच माह की बच्ची को गोद लिया है। यह परिवार पिछले लगभग 4 साल से बच्चों को गोद लेने के लिए प्रयास कर रहा था और आखिरकार वह पल आ गया, जब फिल्म अभिनेत्री बेटी के घर की शान शिशु गृह की यह बच्ची बन गई।
जाने-माने समाजसेवी पवन बंसल मोतिया ग्रुप के मालिक ने मंगलवार को एक समारोह में शिशु गृह सेक्टर 15 कि इस बच्ची को गोद दिया। हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की मानद महासचिव रंजीता मेहता ने पवन बंसल का स्वागत किया और परिषद की गतिविधियों के बारे में उन्हें अवगत करवाया। पवन बंसल और रंजीता मेहता ने शिशु गृह का निरीक्षण किया।
इस दौरान बच्चों को दी जा रही सुविधाओं के बारे में भी जानकारी दी गई। गोद लेने वाले अभिभावक इस बच्चे को पाकर काफी खुश नजर आई। उनका कहना था कि वह इस बच्ची के बड़े होने पर उसे यहां पर दोबारा लेकर आएगी, ताकि उसे पता चले कि किस तरह से समाज में कुछ लोग अपनी संतान को ठुकरा देते हैं, लेकिन भगवान ऐसे बच्चों को नया परिवार और नए पंख देने में कसर नहीं छोड़ना । उन्होंने शिशु गृह के स्टाफ द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। रंजीता मेहता ने बताया कि पूरे प्रदेश में इस तरह के कई सेंटर चल रहे हैं, जहां बच्चों की देखरेख उनकी पढ़ाई एवं अन्य गतिविधियों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
रंजीता मेहता ने कहा कि अपने बच्चों का लालन-पालन तो सभी लोग करते हैं, लेकिन ऐसे बच्चों का लालन पालन करना बड़ी बात है, जिनका पोषण उनके स्वयं के माता-पिता भी नहीं करना चाहते थे और किसी कारणवश वह अपने बच्चों को छोड़ जाते हैं।
ऐसे बच्चों को संभालना, उनका खाना पीना, रहना, स्कूल की व्यवस्था करना बहुत पुन्य का कार्य है। पवन बंसल ने कहा कि आज के दौर में यह काम सोसाइटी में बहुत कम हो रहा है। इन बच्चों को महीने दो महीने से लेकर 6 साल की आयु तक पालन पोषण रंजीता मेहता और उनकी टीम द्वारा किया जा रहा है, जिसके लिए वह बधाई की पात्र हैं। उन्होंने कहा कि आजकल कई लोग बच्चों को अडॉप्ट करना चाहता है, उसके लिए सुविधा उपलब्ध करवाना बहुत आवश्यक है, जो कार्य हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद बाग खूबी निभा रहा है। यहां से जो भी परिवार बच्चे गोद ले रहे हैं, वह बड़े अच्छे ढंग से बच्चों का लालन-पालन कर रहे हैं। पवन बंसल ने कहा कि हमें संतोष समर्पण के भाव से मिलता है, निस्वार्थ सेवा से मिलता है, वह कहीं और नहीं मिल सकता। बच्चे प्यार के भूखे होते हैं और जो यहां से बच्चे अडॉप्ट कर रहे हैं, वह इन्हें अपना खून मान कर प्यार करें।